Code of Civil Procedure 1908 Important Notes for Prelims Exam
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Updated: Jul 28
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (CPC)यह एक प्रक्रियात्मक कानून है जो सिविल न्यायालयों में वादों के संचालन को नियंत्रित करता है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिए गए हैं जिन्हें प्रारंभिक परीक्षा के दृष्टिकोण से ध्यान में रखना चाहिए:
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908: प्रारंभिक परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण नोट्स
Code of Civil Procedure 1908 Important Notes for Prelims Exam
1. परिचय (Introduction)
उद्देश्य (Objective): सिविल न्यायालयों में दीवानी वादों के संचालन से संबंधित कानून को संशोधित और समेकित करना।
प्रकृति (Nature): यह एक प्रक्रियात्मक कानून है, जिसका अर्थ है कि यह न्यायालयों में कार्यवाही की प्रक्रिया निर्धारित करता है, न कि अधिकारों का सृजन करता है।
लागू होना (Applicability): यह जम्मू-कश्मीर राज्य, नागालैंड और जनजातीय क्षेत्रों को छोड़कर पूरे भारत पर लागू होता है। हालाँकि, कुछ प्रावधान नागालैंड और जनजातीय क्षेत्रों में राज्य सरकार की अधिसूचना द्वारा लागू किए जा सकते हैं।
2. संरचना (Structure)
संहिता में 158 धाराएँ (Sections) और 51 आदेश (Orders) शामिल हैं।
धाराएँ सिद्धांतों से संबंधित हैं, जबकि आदेश विस्तृत प्रक्रियाएँ निर्धारित करते हैं।
3. महत्वपूर्ण परिभाषाएँ (धारा 2) (Important Definitions (Section 2))
डिक्री (Decree) (धारा 2(2)): यह न्यायालय के न्यायनिर्णयन की औपचारिक अभिव्यक्ति है, जहाँ तक यह वाद के सभी या किसी भी विवादग्रस्त मामले के संबंध में पक्षकारों के अधिकारों को निश्चायक रूप से निर्धारित करता है। यह प्रारंभिक (preliminary), अंतिम (final) या अंशतः प्रारंभिक और अंशतः अंतिम हो सकती है।
आदेश (Order) (धारा 2(14)): यह सिविल न्यायालय के किसी भी न्यायनिर्णयन की औपचारिक अभिव्यक्ति है जो डिक्री नहीं है।
न्यायिक क्षेत्र (Jurisdiction): किसी न्यायालय की किसी मामले को सुनने और तय करने की शक्ति।
वादी (Plaintiff): वह व्यक्ति जो वाद दायर करता है।
प्रतिवादी (Defendant): वह व्यक्ति जिसके खिलाफ वाद दायर किया जाता है।
विधिक प्रतिनिधि (Legal Representative) (धारा 2(11)): वह व्यक्ति जो किसी मृत व्यक्ति की संपत्ति का प्रतिनिधित्व करता है और जो कानूनी रूप से उसकी संपत्ति में हस्तक्षेप करता है।
मध्यवर्ती लाभ (Mesne Profits) (धारा 2(12)): ऐसी संपत्ति से प्राप्त या प्राप्त होने वाले लाभ जो गलत तरीके से किसी के कब्जे में हैं, इसमें ब्याज भी शामिल है।
4. महत्वपूर्ण धाराएँ (Important Sections)
धारा 9 (Section 9): सिविल प्रकृति के वाद (Suits of Civil Nature)। न्यायालय सभी सिविल प्रकृति के वादों का विचारण करेंगे, जब तक कि उनका संज्ञान अभिव्यक्त या विवक्षित रूप से वर्जित न हो।
धारा 10 (Section 10): विचाराधीन न्याय (Res Sub Judice)। कोई भी न्यायालय ऐसे किसी वाद का विचारण नहीं करेगा जिसमें विवादग्रस्त विषय उसी न्यायालय में या भारत के किसी अन्य न्यायालय में पहले से ही लंबित है, जहाँ दोनों न्यायालयों के पास एक ही राहत देने का अधिकार क्षेत्र हो।
धारा 11 (Section 11): पूर्व न्याय (Res Judicata)। किसी भी वाद का विचारण नहीं किया जाएगा यदि विवादग्रस्त विषय पहले से ही किसी सक्षम न्यायालय द्वारा तय किया जा चुका है।
धारा 15 (Section 15): निम्नतम श्रेणी के न्यायालय में वाद संस्थित करना (Court in which suits to be instituted)। प्रत्येक वाद सबसे निम्नतम श्रेणी के सक्षम न्यायालय में संस्थित किया जाएगा।
धारा 20 (Section 20): वाद संस्थित करने का स्थान (Place of suing)। वाद वहाँ संस्थित किया जाएगा जहाँ प्रतिवादी निवास करता है, या जहाँ वाद हेतुक (cause of action) पूर्णतः या अंशतः उत्पन्न होता है।
धारा 26 (Section 26): वाद संस्थित किया जाना (Institution of suits)। प्रत्येक वाद वादपत्र प्रस्तुत करके संस्थित किया जाएगा।
धारा 34 (Section 34): ब्याज पर डिक्री (Decree for interest)। न्यायालय ब्याज देने का आदेश दे सकता है।
धारा 36 से 74 (धारा 36-74): डिक्री और आदेशों का निष्पादन (Execution of Decrees and Orders)।
धारा 80 (Section 80): सरकार के विरुद्ध वाद (Notice against Government)। सरकार या लोक अधिकारी के विरुद्ध वाद दायर करने से पहले दो महीने का नोटिस देना अनिवार्य है।
धारा 89 (Section 89): विवादों का न्यायालय के बाहर निपटारा (Settlement of disputes outside the Court)। इसमें मध्यस्थता (arbitration), सुलह (conciliation), न्यायिक निपटान (judicial settlement) और मध्यस्थता (mediation) शामिल हैं।
धारा 96 (Section 96): मूल डिक्री के विरुद्ध अपील (Appeal from original decree)।
धारा 100 (Section 100): द्वितीय अपील (Second Appeal)। उच्च न्यायालय में द्वितीय अपील तभी दायर की जा सकती है जब विधि का कोई सारवान प्रश्न (substantial question of law) शामिल हो।
धारा 115 (Section 115): पुनरीक्षण (Revision)। उच्च न्यायालय अधीनस्थ न्यायालय के निर्णय का पुनरीक्षण कर सकता है यदि न्यायालय ने अपने क्षेत्राधिकार का प्रयोग नहीं किया है, या अपने क्षेत्राधिकार का अवैध रूप से या अनियमित रूप से प्रयोग किया है।
धारा 132-133 (Section 132-133): महिलाओं और विशिष्ट व्यक्तियों को व्यक्तिगत उपसंजाति से छूट (Exemption from personal appearance of women and other persons)।
धारा 148 (Section 148): समय बढ़ाने की शक्ति (Power to enlarge time)।
धारा 151 (Section 151): न्यायालय की अंतर्निहित शक्तियाँ (Inherent powers of Court)। न्यायालय के पास न्याय के उद्देश्यों को सुरक्षित रखने या प्रक्रिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए आवश्यक आदेश देने की अंतर्निहित शक्ति है।
धारा 152 (Section 152): निर्णयों, डिक्री और आदेशों का संशोधन (Amendment of judgments, decrees or orders)।
5. महत्वपूर्ण आदेश (Important Orders)
आदेश I (Order I): वादों के पक्षकार (Parties to Suits)।
आदेश II (Order II): वाद की विरचना (Frame of Suit)।
आदेश III (Order III): मान्यता प्राप्त अभिकर्ता और प्लीडर (Recognized Agents and Pleaders)।
आदेश IV (Order IV): वादों का संस्थित किया जाना (Institution of Suits)।
आदेश V (Order V): समन जारी करना और तामील करना (Issue and Service of Summons)।
आदेश VI (Order VI): अभिवचन (Pleadings) - सामान्यतः (Generally)। इसमें वादपत्र (plaint) और लिखित कथन (written statement) शामिल हैं।
आदेश VII (Order VII): वादपत्र (Plaint)।
आदेश VIII (Order VIII): लिखित कथन, मुजरा और प्रतिदावा (Written Statement, Set-Off and Counter-Claim)।
आदेश IX (Order IX): पक्षकारों की उपसंजाति और अनुपसंजाति के परिणाम (Appearance of Parties and Consequence of Non-Appearance)।
आदेश X (Order X): पक्षकारों की परीक्षा (Examination of Parties)।
आदेश XI (Order XI): प्रकटीकरण और निरीक्षण (Discovery and Inspection)।
आदेश XII (Order XII): स्वीकारोक्तियाँ (Admissions)।
आदेश XIII (Order XIII): दस्तावेज़ों का पेश करना, उनका पेशी पर लौटना और उनका जब्त किया जाना (Production, Impounding and Return of Documents)।
आदेश XIV (Order XIV): विवादकों की विरचना (Settlement of Issues)।
आदेश XV (Order XV): वाद का प्रथम सुनवाई में निपटारा (Disposal of Suit at First Hearing)।
आदेश XVI (Order XVI): साक्षियों को समन करना और उनकी हाजिरी (Summoning and Attendance of Witnesses)।
आदेश XVII (Order XVII): स्थगन (Adjournments)।
आदेश XVIII (Order XVIII): साक्षियों की परीक्षा (Hearing of the Suit and Examination of Witnesses)।
आदेश XX (Order XX): निर्णयों और डिक्री का न्यायनिर्णयन (Judgment and Decree)।
आदेश XXI (Order XXI): डिक्री और आदेशों का निष्पादन (Execution of Decrees and Orders)।
आदेश XXII (Order XXII): पक्षकारों की मृत्यु, विवाह और दिवाला (Death, Marriage and Insolvency of Parties)।
आदेश XXIII (Order XXIII): वादों का प्रत्याहरण और समायोजन (Withdrawal and Adjustment of Suits)।
आदेश XXIV (Order XXIV): वाद धन की अदायगी (Payment into Court)।
आदेश XXVI (Order XXVI): कमीशन (Commissions)।
आदेश XXVII (Order XXVII): सरकार या लोक अधिकारियों द्वारा या उनके विरुद्ध वाद (Suits by or against the Government or Public Officers)।
आदेश XXXVIII (Order XXXVIII): गिरफ्तारी और कुर्की निर्णय से पहले (Arrest and Attachment before judgment)।
आदेश XXXIX (Order XXXIX): अस्थायी व्यादेश और अंतर्वर्ती आदेश (Temporary Injunctions and Interlocutory Orders)।
आदेश XL (Order XL): रिसीवर की नियुक्ति (Appointment of Receivers)।
आदेश XLI (Order XLI): अपीलीय न्यायालय में अपील (Appeals from Original Decrees)।
आदेश XLIII (Order XLIII): आदेशों से अपील (Appeals from Orders)।
आदेश XLIV (Order XLIV): निर्धन व्यक्ति के रूप में अपील (Appeals by Indigent Persons)।
आदेश XLV (Order XLV): उच्चतम न्यायालय में अपील (Appeals to the Supreme Court)।
आदेश XLVII (Order XLVII): पुनर्विलोकन (Review)।
6. महत्वपूर्ण संशोधन (Important Amendments)
CPC में समय-समय पर कई संशोधन हुए हैं, विशेषकर 1976, 1999 और 2002 के संशोधन महत्वपूर्ण हैं। प्रारंभिक परीक्षा में इन संशोधनों से संबंधित प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
महत्वपूर्ण आदेश और नियम (Important Orders and Rules)
1. आदेश I: वादों के पक्षकार (Parties to Suits)
नियम 1: वादी के रूप में कौन सम्मिलित हो सकता है (Who may be joined as plaintiffs)।
नियम 3: प्रतिवादी के रूप में कौन सम्मिलित हो सकता है (Who may be joined as defendants)।
नियम 9: कु-संयोजन और अ-संयोजन (Mis-joinder and non-joinder)। (यह नियम बताता है कि केवल कु-संयोजन या अ-संयोजन के आधार पर किसी वाद को खारिज नहीं किया जाएगा)।
नियम 10: गलत वादी के नाम पर वाद या पक्षकार को जोड़ा/हटाया जाना (Suit in name of wrong plaintiff or adding/striking out parties)।
नियम 13: अ-संयोजन या कु-संयोजन के संबंध में आपत्तियां (Objections as to non-joinder or mis-joinder)।
2. आदेश II: वाद की विरचना (Frame of Suit)
नियम 1: वाद की विरचना (Frame of suit)। (वाद को इस तरह से विरचित किया जाना चाहिए कि न्यायालय वादग्रस्त विषय पर पूर्ण और अंतिम निर्णय दे सके)।
नियम 2: वाद हेतुक के पूरे दावे को शामिल करना (Suit to include the whole claim)। (एक वाद में वाद हेतुक के संबंध में पूरा दावा शामिल होना चाहिए)।
नियम 3: वाद हेतुकों का संयोजन (Joinder of causes of action)।
3. आदेश IV: वादों का संस्थित किया जाना (Institution of Suits)
नियम 1: वादपत्र द्वारा वाद का प्रारंभ (Suit to be commenced by plaint)। (प्रत्येक वाद वादपत्र प्रस्तुत करके संस्थित किया जाएगा)।
नियम 2: वादों का रजिस्टर (Register of suits)।
4. आदेश V: समन जारी करना और तामील करना (Issue and Service of Summons)
नियम 1: समन (Summons)।
नियम 9: तामील के लिए समन का परिदान या पारेषण (Delivery or transmission of summons for service)।
नियम 9A: तामील के लिए वादी को दिया गया समन (Summons given to the plaintiff for service)।
नियम 15: जहां प्रतिवादी के परिवार के वयस्क सदस्य पर तामील की जा सकती है (Where service may be on an adult member of defendant's family)।
नियम 17: जब प्रतिवादी तामील स्वीकार करने से इनकार करता है, या नहीं मिल पाता है, तब प्रक्रिया (Procedure when defendant refuses to accept service, or cannot be found)।
नियम 20: प्रतिस्थापित तामील (Substituted service)।
नियम 21: दूसरे न्यायालय के क्षेत्राधिकार से बाहर समन की तामील (Service of summons outside jurisdiction of another Court)।
5. आदेश VI: अभिवचन साधारणतः (Pleadings Generally)
नियम 1: अभिवचन (Pleading)।
नियम 2: अभिवचन में तात्त्विक तथ्य होंगे, साक्ष्य नहीं (Pleading to state material facts and not evidence)।
नियम 16: अभिवचनों को काट देना (Striking out pleadings)।
नियम 17: अभिवचनों का संशोधन (Amendment of pleadings)। (यह नियम वादपत्र या लिखित कथन में संशोधन की अनुमति देता है)।
6. आदेश VII: वादपत्र (Plaint)
नियम 1: वादपत्र में अंतर्विष्ट होने वाली विशिष्टियाँ (Particulars to be contained in plaint)।
नियम 10: वादपत्र की वापसी (Return of plaint)। (जब न्यायालय के पास क्षेत्राधिकार नहीं होता)।
नियम 11: वादपत्र का नामंजूर किया जाना (Rejection of plaint)। (उन आधारों को निर्दिष्ट करता है जिन पर वादपत्र को नामंजूर किया जा सकता है, जैसे वाद हेतुक का प्रकट न होना, कम स्टाम्प शुल्क आदि)।
7. आदेश VIII: लिखित कथन, मुजरा और प्रतिदावा (Written Statement, Set-Off and Counter-Claim)
नियम 1: लिखित कथन (Written Statement)। (प्रतिवादी को समन की तामील के 30 दिनों के भीतर लिखित कथन प्रस्तुत करना होगा, जिसे 90 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है)।
नियम 6: मुजरा (Set-off)।
नियम 6A: प्रतिदावा (Counter-Claim)।
8. आदेश IX: पक्षकारों की उपसंजाति और अनुपसंजाति के परिणाम (Appearance of Parties and Consequence of Non-Appearance)
नियम 6: जब वादी उपसंजात होता है और प्रतिवादी उपसंजात नहीं होता (Procedure when only plaintiff appears)。 (इसमें एकपक्षीय सुनवाई और डिक्री का प्रावधान है)।
नियम 7: सुनवाई स्थगित होने के बाद प्रतिवादी का उपसंजात होना (Procedure where defendant appears on day of adjourned hearing and assigns good cause for previous non-appearance)।
नियम 8: जब प्रतिवादी उपसंजात होता है और वादी उपसंजात नहीं होता (Procedure where defendant only appears)。
नियम 9: वादी द्वारा वाद खारिज होने पर नया वाद दायर करने का वर्जन (Dismissal of suit where plaintiff fails to appear at hearing)।
नियम 13: प्रतिवादी के विरुद्ध एकपक्षीय डिक्री को अपास्त करना (Setting aside decree ex parte against defendant)।
9. आदेश XI: प्रकटीकरण और निरीक्षण (Discovery and Inspection)
नियम 1: परिप्रश्नों द्वारा प्रकटीकरण (Discovery by interrogatories)।
नियम 12: दस्तावेजों का प्रकटीकरण (Discovery of documents)।
नियम 14: दस्तावेजों का उत्पादन (Production of documents)।
10. आदेश XIV: विवादकों की विरचना (Settlement of Issues)
नियम 1: विवादकों की विरचना (Framing of issues)। (विवादक तब उत्पन्न होते हैं जब कोई तात्त्विक प्रतिपादना एक पक्षकार द्वारा प्रतिज्ञात और दूसरे पक्षकार द्वारा प्रत्याख्यात की जाती है)।
नियम 2: विधि के विवादकों का निपटारा (Issues of law)。
11. आदेश XVII: स्थगन (Adjournments)
नियम 1: न्यायालय स्थगन कब दे सकता है (Court may grant time and adjourn hearing)। (किसी वाद की सुनवाई के दौरान अधिकतम 3 स्थगन अनुमेय हैं)।
12. आदेश XVIII: साक्षियों की परीक्षा (Hearing of the Suit and Examination of Witnesses)
नियम 4: साक्ष्य को शपथ पत्र पर अभिलिखित करना (Recording of evidence by affidavit)।
नियम 5: मौखिक साक्ष्य का अभिलेखन (Manner of recording evidence)。
13. आदेश XX: निर्णयों और डिक्री का न्यायनिर्णयन (Judgment and Decree)
नियम 1: निर्णय कब सुनाया जाना है (Judgment when pronounced)।
नियम 6: डिक्री की अंतर्वस्तु (Contents of decree)।
नियम 6A: डिक्री कब तैयार की जानी है (When decree to be drawn up)। (निर्णय के 15 दिनों के भीतर)।
नियम 12: कब्जे और मध्यवर्ती लाभ के लिए डिक्री (Decree for possession and mesne profits)।
14. आदेश XXI: डिक्री और आदेशों का निष्पादन (Execution of Decrees and Orders)
यह आदेश सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण आदेश है, जिसमें 106 नियम हैं। प्रारंभिक परीक्षा के लिए, इसके सामान्य सिद्धांत और कुछ विशिष्ट नियम महत्वपूर्ण हैं:
निष्पादन आवेदन (Application for execution)।
निष्पादन करने वाले न्यायालय (Courts executing decrees)।
निष्पादन पर रोक (Stay of execution)।
संपत्ति की कुर्की और बिक्री (Attachment and sale of property)।
गिरफ्तारी और निरोध (Arrest and detention)।
नियम 2: डिक्री का समायोजन या तुष्टीकरण (Adjustment or satisfaction of decree)।
नियम 11: मौखिक आवेदन (Oral application) और लिखित आवेदन (Written application)।
नियम 30-36: धन के निष्पादन, चल संपत्ति के परिदान आदि के लिए निष्पादन की रीति (Modes of execution for money, delivery of movable property etc.)।
नियम 41: निर्णयी ऋणी की परीक्षा (Examination of judgment-debtor)।
नियम 58: कुर्की पर आपत्तियां (Objections to attachment)।
नियम 90: बिक्री को अपास्त करने का आवेदन (Application to set aside sale)。
15. आदेश XXIII: वादों का प्रत्याहरण और समायोजन (Withdrawal and Adjustment of Suits)
नियम 1: वाद का प्रत्याहरण (Withdrawal of suit)। (बिना अनुमति के वाद वापस लेने पर नया वाद वर्जित)।
नियम 3: वाद का समझौता या समायोजन (Compromise or adjustment of suit)।
16. आदेश XXVI: कमीशन (Commissions)
नियम 1: गवाहों की परीक्षा के लिए कमीशन (Commission to examine witnesses)।
नियम 9: स्थानीय जांच के लिए कमीशन (Commission for local investigation)।
17. आदेश XXXII: अवयस्कों और विकृतचित्त व्यक्तियों द्वारा या उनके विरुद्ध वाद (Suits by or Against Minors and Persons of Unsound Mind)
नियम 1: अवयस्क का वाद मित्र द्वारा वाद दायर करना (Minor to sue by next friend)।
नियम 3: वाद के लिए अभिभावक की नियुक्ति (Appointment of guardian for the suit)।
18. आदेश XXXIII: निर्धन व्यक्तियों द्वारा वाद (Suits by Indigent Persons)
नियम 1: निर्धन व्यक्ति के रूप में वाद संस्थित करना (Suit may be instituted by indigent person)।
19. आदेश XXXVIII: निर्णय से पहले गिरफ्तारी और कुर्की (Arrest and Attachment before Judgment)
नियम 1: प्रतिवादी को उपसंजात होने या सुरक्षा देने के लिए बुलाने की शक्ति (Power to require defendant to furnish security for appearance)。
नियम 5: निर्णय से पहले कुर्की (Attachment before judgment)।
20. आदेश XXXIX: अस्थायी व्यादेश और अंतर्वर्ती आदेश (Temporary Injunctions and Interlocutory Orders)
नियम 1: अस्थायी व्यादेश के मामले (Cases in which temporary injunction may be granted)। (इसमें स्थायी व्यादेश के लिए तीन सुनहरे नियम शामिल हैं: प्रथमदृष्ट्या मामला, अपूरणीय क्षति, और सुविधा का संतुलन)।
नियम 2: संविदा के उल्लंघन या अन्य चोट को रोकने के लिए व्यादेश (Injunction to restrain repetition or continuance of breach of contract or other injury)।
नियम 2A: व्यादेश के उल्लंघन या अवज्ञा का परिणाम (Consequence of disobedience or breach of injunction)।
नियम 4: व्यादेश को अपास्त करना, भिन्न करना या रद्द करना (Order for injunction may be discharged, varied or set aside)।
21. आदेश XL: रिसीवर की नियुक्ति (Appointment of Receivers)
नियम 1: रिसीवर की नियुक्ति (Appointment of receiver)।
22. आदेश XLI: मूल डिक्री से अपील (Appeals from Original Decrees)
नियम 1: अपील का प्ररूप (Form of appeal)।
नियम 5: अपील का निष्पादन पर रोक के रूप में कार्य न करना (Appeal not to operate as stay of proceedings or execution)।
नियम 11: अपील का संक्षिप्त खारिज किया जाना (Power to dismiss appeal without sending notice to lower Court)。
नियम 23: पुनर्प्रेषण (Remand of case by Appellate Court)।
नियम 27: अपीलीय न्यायालय में अतिरिक्त साक्ष्य (Production of additional evidence in Appellate Court)।
23. आदेश XLIII: आदेशों से अपील (Appeals from Orders)
यह आदेश उन आदेशों की सूची देता है जिनसे अपील की जा सकती है।
24. आदेश XLVII: पुनर्विलोकन (Review)
नियम 1: पुनर्विलोकन के लिए आवेदन (Application for review of judgment)।
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